

बिलासपुर/ लगता है प्रदेश में भाजपा सरकार आने के बाद भी कमीशनखोरी खेल जोरों पर चल रहा है जिसमें मार्कफेड की भूमिका संदिग्ध नजर आ रही है, मार्कफेड के कर्ताधर्ता पहले तो एफसीआई के कोटे का चावल जमा नहीं करवा सके। वही कलेक्टर के आदेश के बाद जब नागरिक आपूर्ति निगम में कन्वर्जन करवाने का आदेश हुआ, जिसके बाद अभी भी कई मिलर्स का चांवल नहीं लिया गया, सूत्र बता रहें है कि मीलर से चांवल लेने के एवज कमीशनखोरी की जा रही है जिसमें 107 रुपए का एक्स्ट्रा टैक्स वसूला जा रहा है। जिसमें ऊपर और नीचे सभी लोगों का कमीशन बंधा है, बताया जा रहा है कि। सौ रुपए ऊपर का और 7 रुपए नीचे वालों का हिस्सा है। जानकारी के अनुसार ऐसा की एक मामला प्रदेश के और जिले से समाने आ चुका है। जिसमें खुलेआम कमीशनखोरी की मांग की जा रही थी,
क्या विभाग के अधिकारी कर रहे खुलेआम कमीशनखोरी मांग
सूत्रों के अनुसार जिले में दिसंबर माह में चांवल जमा होना था पर 3 महीने बीत जाने के बात भी सरकारी विपणन संघ मिलर्स से चांवल नहीं ले पा रही जिसमें भ्रष्टाचार की बु आ रही है, सूत्र बता थे है कि करीब 60 मिलर्स का चांवल कनवर्ट होना था पर जो मिलर डीएमओ ऑफिस के साहब को कमीशन के पैसे दे दिए है उनका चांवल कनवर्ट कर लिया गया, और जो मिलर कमीशन नहीं दिए है वो डीएमओ ऑफिस के चक्कर काट रहे है। सूत्रों के अनुसार डीएमओ ऑफिस के साहब ऊपर और नीचे का कमीशन रेत तय कर दिया है, जिसमें ऊपर के लिए पर कुंटल के हिसाब से 100 रु और नीचे वालों के लिए 7 रु प्रति कुंटल कमीशन निर्धारित किया गया है। इस मामले में विपणन संघ के अधिकारी बेखौफ कमीशन की मांग कर रहे हैं, बता दे जिले में करीब 135 मीलर्स है जिनमें से 60 मीलरों का चांवल कनवर्ट होना था पर कई महीने बीत जाने के बाद भी सिर्फ कमीशनखोरी के चलते करीब 25 से 30 मिलर्स का चांवल कनवर्ट नहीं हो पाया है। इससे तो यही लग रहा है कि जब तक मिलर डीएमओ ऑफिस तय कमीशन नहीं देंगे तब तक मीलर्स का चांवल कनवर्ट नहीं होगा, वही अब देखना होगा कि इस खबर के बाद क्या जिले के उच्च अधिकारी बचे हुए मिलरों के चांवल कनवर्ट करने के लिए मांगी जा रही कमीशन राशि पर रोक लगा पाते है या नहीं?

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