बिलासपुर पुलिस के एक साल,,लूट डकैती और गोलीकांड से सहमे रही न्यायधानी,,

बिलासपुर/ शहर में लगातार बढ़ रहे अपराध पर पुलिस का, नियंत्रण खोते जा रहा है,अगर ऐसा ही चलता रहा तो वो दिन दूर नही जब न्यायधानी में अपराधियों का आतंक सर चढ़ के बोलेगा, एक समय था जब बिलासपुर में गुंडा राज चलता था, कुदुदंड, कतीयापारा, तालापारा,जैसे कई इलाकों में आए दिन मारपीट बलवा जैसी घटनाएं आम हो चली थी, वही एक बार फिर न्यायधानी की शांत फिजा में दहशत की बू आने लगी है।

बीते एक सालों में बिलासपुर में लूट, डकैती, पत्रकार पर जानलेवा हमला , युवती की हत्या का सनसनीखेज मामला? जैसे कई संगीन अपराधों की लड़ी लग गई थी,एक तरफ न्यायधानी पुलिस रात में चेकिंग कर शराब पीने वालों के ऊपर कार्यवाही करती है, और दूसरी तरफ अपराधी बड़ी बड़ी वारदात को अंजाम दे कर निकल जाते है। अगर ऐसे ही अपराधियों के हौसले बुलंद होते रहे तो न्यायधानी अपराधियों का गढ़ बन जाएगी,वही प्रशासनिक दृष्टिकोण को देखते हुए बिलासपुर में नए आईजी की नियुक्ति की गई। पर जिले की वरिष्ट पुलिस अधीक्षक लाख कोशिशों के बाद भी अपराध पर लगाम लगा पाने में असमर्थ नज़र आई.

एएसपी पारुल माथुर दिसंबर 2021 में पदभार ग्रहण कर बिलासपुर पुलिस की कमान अपने हांथ में ली थी, इनके कार्यकाल में सरेराह चाकूबाजी, दुर्गा विसर्जन में बलवा,,नेशानल हाईवे में ढाबा संचालक से मारपीट, मस्तूरी में डकैती, वाल्मीकि चौक में लाठियों की बरसात, मंगला चौक में दो गुटों में मारपीट,, एटीपी मशीन से लूट, हत्या के बाद कार में लाश, मगरपारा में हत्या,,जाबड़ापारा में बच्चे की अपहरण की कोशिश, शक्ति सिंह मामले में लीपापोती कर आरोपियों का संरक्षण? और संजू त्रिपाठी गोलीकांड जैसी बड़ी वारदात को अंजाम दिया गया। और पुलिस रात में गस्त कर शराब पीने वालों के ऊपर कार्यवाही करती रही,कुल मिलाकर कहा जाए की बीते 1 सालों में अपराधो का ग्राफ लगातार बढ़ाता गया है जिससे मैडम के ट्रांसफर की अटकलें तेज़ हो गई थी, वही शुक्रवार की देर रात इन अटकलों से पर्दा उठा और एसएसपी का पारुल माथुर रायपुर ट्रांसफर कर दिया गया है।

जिसके बाद अब देखना होगा की जिले के नए एसपी किस तरह अपराध रोकने रणनीति बनाते है। अगर जिले में शांति व्यवस्था बनानी है तो हर थाने के टी आई को सतर्क रहना होगा, साथ ही स्टाफ को भी निर्देशित करना होगा की, किसी भी घटना की जानकारी मिले तो उस पार तत्काल एक्शन ले,जिससे बड़ी वारदात पर अंकुश लग सके। वैसे तो सच्चाई लिखे वाले पत्रकारों को पुलिस अपना दुश्मन समझती है। पर सच्चाई को दबाया नहीं जा सकता, अगर पुलिस अच्छा काम करती है तो हम उनकी सराहना भी करते है। फिर सच बात में मिर्च लगना ठीक नही, आप अच्छा काम करते रहिए। हम भी आपके कार्यों पर सच्चाई की काम चलाते रहेंगे, पर चाटुकारीता नहीं हो पाएगी। अपराध रोकने के लिए अकेले पुलिस नही बल्कि हर वर्ग को सामने आना होगा, जिससे पुलिस को मदद मिले।

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