अनोखा और आश्चर्यजनक अपहरण की कहानी,,क्या बिना जांच के हो गई FIR?

बिलासपुर। अरे वाह यह तो गजब ही हो गया आपने अभी तक अपहरण के अनेक किस्से और तरीके के बारे में सुना होगा लेकिन कोरबा के एक केवल चलाने वाले ने दो हद ही कर डाला वहां के कोतवाली थाने में उसने अपने कथित अपहरण की कहानी का जिस तरह से बयान किया है उससे तो यही लगता है कि छत्तीसगढ़ में पहली बार किसी का ऑनलाइन अपहरण हो गया था। इस कथित अपहरण के कथित प्रार्थी ने अपने अपहरण में उन लोगों का भी नाम लिया है जिसका उनसे अपहरण की तिथि को या उससे पहले मुलाकात ही नहीं हुई है उसके परिचित ने उसको फोन पर जिन लोगों की बात कराई वे लोग बिलासपुर के प्रतिष्ठित व्यवसाई भाटिया परिवार के ही हैं इस बात की क्या गारंटी है रिपोर्टकर्ता केवल संचालक ने जिस वाहन से अपने अपहरण की बात बता रहा है उस वाहन का उसे नंबर ही पता नहीं है यह भी संदिग्ध प्रतीत होता है ।आश्चर्य तो यह है कि केबल संचालक को कथित रूप से अपहरण कर कोरबा से बिलासपुर लाया जाना और उसे एक होटल में रुकवाना फिर भोपाल जाना और टैक्सी का किराया ₹7500 खुद देना और अपहरण की बात किसी को नही बताना अविश्वसनीय लगता है। उसका अपहरण करके बिलासपुर भोपाल सड़क मार्ग से जाने के दौरान क्या उसको कहीं पर भी ऐसा कोई भी मौका नहीं मिला जिससे वह अपने अपहरण की वारदात की बात किसी को बता सके? पूरा मामला संदिग्ध जान पड़ता है। कोरबा में केबल का व्यवसाय करने वाले अरविंद पनवार नामक शख्स ने कोतवाली थाना कोरबा जो एफ आई आर दर्ज कराया है उसको अभी उसके मुताबिक उसका कथन है कि बिलासपुर के प्रतिष्ठित व्यवसाई अमोलक सिंह भाटिया उसके पुत्र बबलू भाटिया सोना भाटिया गुरविंदर सिंह भाटिया गुरविंदर सिंह भाटिया तथा प्रिंस भाटिया ने उसका अपहरण करके बिलासपुर लाया तथा एफ आई आर के मुताबिक कोरबा का एक व्यक्ति मुरारी जिसे वह जानता है जस वह आवाज देकर बुलाया और कहा कि अमोलक सिंह भाटिया गुरविंदर सिंह भाटिया बबलु भाटिया प्रिंस भाटिया और सोना भाटिया उससे बात करना चाहते हैं एक गाड़ी बिठाया जिस पर प्रेस लिखा हुआ था लेकिन उस गाड़ी का नंबर क्या था उसे पता ही नहीं था क्योंकि उसने अपने एफ आई आर में वाहन की नंबर का जिक्र नहीं किया है। उसने अपने कथन में यह कहा है कि उसकी परिचित मुरारी द्वारा उसे एक वाहन में बिठाया गया उसके बाद उसे बताया गया कि उसका अपहरण हो चुका है। उसका परिचित मुरारी उसे वहां में बिठाकर बिलासपुर लाता है और से होटल डाउन टाउन में रुकवा जहां उसने खुद आई डी कार्ड दिया फिर सुबह टैक्सी लेकर वापस फुले गया और फिर भोपाल गए टैक्सी का किराया मैंने स्वयं 7500 पेमेंट किया लेकिन यह सब मैंने भय से किया मेरा अपहरण 14 तारीख को 9:00 बजे हुआ था मैं जबलपुर भोपाल इंदौर घूमकर आया तब sp से शिकायत किया हूं। इस प्रकार मेरी किसी भी यारों की सेठ नहीं हुई लेकिन फिर भी मेरा अपहरण हो गया है । उसने अपने एफ आई आर में अभी कहां है कि उससे कई दस्तावेजों में दबाव डालकर हस्ताक्षर भी करवाया गया है उसने यदि आरोप लगाया है कि मेरे केवल व्यवसाय को प्रभावित करने और ऑफिस में कब्जा करने की कोशिश पहले भी की जा चुकी है।निलेश दुबे जो कि उसका परिचित है उसने 9 अप्रैल को वीडियो कांफ्रेंसिंग काल में भाटिया परिवार के लोगो से बात कराई । यहां पर सवाल यह है कि इस बात की क्या गारंटी या सबूत है कि कांफेस काल में बात करने वाले लोग भाटिया परिवार के ही थे।यह उल्लेखनीय है कि अब केबल का धंधा उतना प्रतिस्पर्धात्मक नही रहा लोग केबल लाइन कटवा अलग अलग कंपनियों के छतरी वाले डिस टी वी कनेक्शन ले चुके है इस तरह मंदा होते जा रहे केबल व्यवसाय के झगड़े में और अपहरण जैसे वारदात को अंजाम देने में भला भाटिया परिवार क्यों जूझेगा?रिपोर्ट कर्ता अरविंद सिंह पनवार जो कि इंदौर का रहने वाला है के द्वारा भाटिया परिवार के खिलाफ अपहरण की जो शिकायत की है वह अपने आप में हास्यास्पद लगता है।उसने किसके कहने पर और किसके दबाव में यह एफ आई आर करवाया है इसकी भी जांच तो होनी ही चाहिए।

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