बिलासपुर / छत्तीसगढ़ में ऐसी कई महिलाएं है जो अपना लोहा मनवा चुकी है, कोई कलेक्टर है तो कोई डॉक्टर बनकर लोगों की सेवा कर रही है। कुछ महिलाएं अपने परिवार का पेट पालने ई रिक्शा चला रही है। पहले महिलाओं को पुरषों से कम आंका जाता था, पर आज महिलाए पुरषों से आगे है। वही छत्तीसगढ़ की एक महिला लेडी सिंघम के नाम से प्रचलित हो रही है। जिनकी निस्वार्थ सेवा और गरीब लोगों की मदद करने का स्वभाव आज उन्हें एक नए पर आयाम बिठा दिया है। सभ्य और मृदु भाषी लेडी सिंघम की लोग तारीफ करते नही थक रहे है, कुछ लोग ऐसे होते है जिन्हे कुछ कर गुजरने की चाह होती है, उसमे से एक ऐसी महिला भी शामिल है…जो समाज सेवा करके कभी किसी को कहती नहीं है और कभी किसी को यह तक नहीं बोलती है की मैने यह सब किया है… आज के दौर में लोग फेमस होने के सोशल मीडिया में एक्टिव रहते है। पर लेडी सिंघम लोगों की मदद तो करती है लेकिन किसी को पाता नही चलता, मतलब वो एक हाथ से मदद करती है और दूसरे हाथ को पता भी नही चलता,
ऐसी है यह महिला जिसे अब “लेडी सिंघम” के नाम से जाना जा रहा है…दरसल यह महिला पेशे से शिक्षिका है…और समाजसेवा करना समाज में रहने वालो की आवाज बनकर सरकार तक पहुंचाना उसकी आदत है….
तभी तो प्रदेश के एक जिले के छोटे से गाँव से निकली महिला प्रदेश भर में नाम कमा लेगी यह किसी ने नहीं सोचा था…खैर इसे किस्मत कहे या फिर कुदरत करिश्मा..
क्योंकि महिला समाज सेवी तो है ही और लोगो के लिए दिन रात मेहनत करते हुए उनकी मदद करने में कभी पीछे नहीं रहती है…यही कारण है कि समाजसेवी महिला को लोग पसंद करने लगे और जब भी कोई समाजसेवा का कार्य या फिर धार्मिक कार्य जैसे काम होता है तो उस महिला को जरूर याद करते है…
गाँव वाले इसलिए लेडी सिंघम कहते है क्योंकि महिला किसी से डरती नहीं और बिंदास बेबाक होकर काम करना जानती है…यही नहीं समाज सेवी महिला अब धीरे धीरे करके गाँव की जन समस्याओ को भी उठाकर निराकरण करने के जुट गयी है…
.हम आपको अब बता दे की जिस समाजसेवी महिला मतलब “लेडी सिंघम” की बात कर रहे है वह महिला कोई और नहीं बल्कि डॉ.सरिता भारद्वाज है जो मुंगेली जिले के एक छोटे से गाँव जिसका नाम लछनपुर है वहा पर रहती है…और शिक्षिका की नौकरी करती है…
चूँकि शुरुवात से गरीबो की सेवा करना और जन समस्याओ को जिले के मुखिया या फिर विधायक और ज्यादा हुआ तो थाने तक जाकर आवाज बुलंद करना रहता है…इसी वजह से उसे “लेडी सिंघम” बोलने लगे…
.हमने जब “लेडी सिंघम” मतलब डॉ.सरिता भारद्वाज से बात की तो उन्होंने कहा की ऐसी कोई बात नहीं है बल्कि यह लोगो का प्यार है और आशीर्वाद है जिसकी वजह से यहाँ तक पहुंची हूँ….रहा सवाल मदद का तो वह सबको करना चाहिए.
.क्योंकि मानव सेवा सबसे बड़ी सेवा है…और कभी भी समय मिले तो पीड़ितों की मदद जरूर करना चाहिए…इससे न सिर्फ मन को शांति मिलती है बल्कि बहुत अच्छा लगता है..हमने जब पूछा की आखिर समाज सेवा और गाँव की आवाज को जिला प्रशासन या फिर सरकार तक पहुचाने का क्या मतलब है तो उन्होंने कहा की मुझे वह काम अच्छा लगता है जिसमे ख़ुशी मिलती है…और खुश होकर काम करना मेरी आदत है…इससे उनकी मदद हो जाती है गाँव वालो का काम भी हो जाता है…
एक सवाल के जवाब में उन्होंने यह भी कहा की गिरौदपूरी धाम ले जाने का मुख्य उद्देश्य यही रहा की ऐसे कई बुजुर्ग,गरीब परिवार और अन्य लोग है जो सतनामी समाज के प्रमुख तीर्थ स्थल गिरौदपूरी अपने पैसो से नहीं जा सकते…जो आर्थिक रूप से कमजोर थे…उनको दर्शन कराने का सपना देखा था इसलिए उसे पूरा किया गया है…वही उन्होंने यह भी कहा की मेरा उद्देश्य सिर्फ समाज सेवा करना रहता है…ताकि किसी की मदद हो सके…
.यही कारण है की जब भी टाइम मिलता है गाँव गाँव जाकर जनता की समस्याओ को सुनकर और समझकर उसका निराकरण किया जाता है….
चूँकि मुंगेली जिला मेरा घर है और यही पर मेरी नौकरी है इसलिए मेरी कोशिश भी यही है की ज्यादा से ज्यादा लोगो की मदद हो सके. आपको बता दे “लेडी सिंघम” ऐसे ही किसी को नहीं कहा जाता है….इसका मतलब साफ है की महिला ने समाजसेवा करते हुए कई गरीब परिवार वालो के लिए मदद के लिए पहले हाथ बढ़ाया है और दुःख हो या सुख….उसमे भी हिस्सेदारी निभाकर अपनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी अदा की है…जिसके कारण अब मुंगेली में ही नहीं बल्कि प्रदेश भर में यह लेडी सिंघम फेमस हो चुकी है….
बातो बातो में उन्होंने बताया की वह गरीबो की मदद करने में ज्यादा रूचि इसलिए रखती है क्योंकि उसने गरीबी को और गरीब परिवार को बहुत करीब से देखा है…और लोग जीवन यापन कैसे करते है उसे मालूम है…इसलिए जब भी कोई गरीब व्यक्ति उनके पास आता है तो वह बेझिझक मदद करती है…उन्होंने कहा की ईश्वर ने मदद करने के काबिल बनाया है..लोगो के प्यार और आशीर्वाद से यह सब हो रहा है
सीएम के पिता नन्द कुमार बघेल डॉ.सरिता भारद्वाज को मानते है अपनी बेटी …
आपको बता दे प्रदेश के मुखिया मतलब सीएम के पिता नंद कुमार बघेल डॉ.सरिता भारद्वाज को अपनी बेटी मानते है…और कभी किसी से नहीं कहती की बाबूजी के साथ जुडी हुई हूँ..और बाबूजी को अपना गुरु मानती हूँ….जिनके मार्गदर्शन में काम कर रही हूँ..
अब आप सोच रहे होंगे की हम लेडी सिंघम के तारीफों के पुल क्यों बांध रहे है, तो आपको बता दें की हमारी टीम कवरेज करने कई क्षेत्रों की में जाति है। हम कवरेज के लिए एक गांव पहुंचे जहां हमने पूछा गया की आप मीडिया वाले है न, तो हमने कहा हां तो कुछ ग्रामीणों ने हमसे पूछा की क्या आप लेडी सिंघम को जानते है तो हमने कहा नहीं, फिर गांव वालों ने लेडी सिंघम के बारे बताना शुरू किया और उनकी बातें खत्म ही नहीं हो रही थी, और हम भी लेडी सिंघम के बारे में जानने उनकी बात सुनते रहे, इसी तरह एक और क्षेत्र में मैडम की निस्वार्थ सेवा के बारे में पता चला तब हमने लोगों से जानकारी जुटाई और लेडी सिंघम की अनसुनी कहानी साझा की। अगर कोई इंसान तारीफे काबिल काम कर रहा हो तो उसकी सराहना करना तो बनता है।
Editor-in-Chief