बिलासपुर/(डॉक्टर) को लोग भगवान का दर्जा देते है, पर कुछ डॉक्टर पैसे कमाने के लिए अपने पेशे को बदनाम करने से नहीं चूकते है, कहा जाता है की बच्चे भगवान का रूप होते है वैसे ही लोगों की जान बचाने वाले और मरीजों की निस्वार्थ सेवा करने वाले चिकित्सकों को लोग भगवान मानते है। पर अब लगाता है की सिर्फ पैसा ही भगवान है?
बता दें तोरवा क्षेत्र पटेल मोहल्ले में रहने वाले दंपत्ति सोनिया पटेल और मनोज पटेल ने बिलासपुर के शिशु भवन के डॉक्टर के ऊपर गंभीर आरोप लगाते हुए अपने दुधमुंहे मासूम बच्चे की मौत का जिम्मेदार ठहरा रहें है।
जानकारी के अनुसार तोरवा क्षेत्र के पटेल मोहल्ले में रहने वाली सोनिया पटेल को गर्भ अवस्था में मेघानी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां आयुषमान योजना के तहत उसका उपचार हुआ और सोनिया ने 12/01/2024 को एक बच्चे को जन्म दिया,जिसके बाद डॉक्टरों ने बच्चे का चैकप किया, और कहने लगे की बच्चा कमजोर है। जिसके लिए उन्हें कुछ जरूरी जांच करनी पड़ेगी जिसकी सुविधा यहां नही है। आप लोग बच्चे को शिशु भवन ले जाओ और चैकप करा लो, जिसके बाद सोनिया के परिजन बच्चे को लेकर शिशु भवन पहुंचे, जहां शिशु भवन के डॉक्टर ने परिजन को बताया की बच्चा पेट में ही पानी पी लिया है। दवाई देने के बाद ठीक हो जाएगा, जिस पर बच्चे को शिशु भवन में भर्ती कर दिया गया। परिजनों ने बताया कि तीन दिन शिशु भवन हॉस्पिटल में रखने के बाद बच्चे की तबीयत में सुधार नहीं आने पर उन्होंने डॉक्टर से पूछा आगे क्या करना है,तो डॉक्टरों ने कहा कि बच्चे की नस ब्लॉक हो गई है. ऑपरेशन करना पड़ेगा, वही परेशान परिजनों ने बच्चों के ऑपरेशन के लिए हामी भर दी पर डॉक्टर ने उन्हें कुछ दिन रुकने को कहा, लेकिन परिजनों ने बच्चों की स्थिति को देखते हुए दबाव बनाया,जिसके बाद बच्चे का ऑपरेशन किया गया, ऑपरेशन के बाद डॉक्टरों ने कहा की बच्चों को 48 घंटे रखना होगा जिसके बाद छुट्टी दे दी जाएगी, फिर अचानक दो दिन बाद डॉक्टर ने कहा कि बच्चे की स्थिति खराब हो रही है,एक और ऑपरेशन करना पड़ेगा तब बच्चे के परिजन बोले कि अभी ही तो ऑपरेशन किया है,फिर किस चीज का ऑपरेशन करना है जिस पर डॉक्टर नाराज हो गए और कहने लगे कि अपने बच्चों को ले जाओ इसका कोई इलाज नहीं होगा और मैं देखता हूं कि बच्चों को लेकर कहां जाते हो और उसका इलाज कैसे करवाते हो, जिसके बाद परिजन बच्चों को लेकर तीन से चार हॉस्पिटल गए, पर अन्य अस्पताल ने भी बच्चों का इलाज करने से मना कर दिया, वहीं परिजनों का आरोप है कि शिशु भवन के संचालक ने व्हाट्सएप के माध्यम से अन्य अस्पताल में भी हमारे बच्चे का इलाज करने से मना कर दिया, उसके बाद परेशान परिजन रायपुर एम्स अस्पताल के लिए निकले इस बीच परिजन ने एंबुलेंस के चालक को ऑक्सीजन चालू करने के लिए कहा तो एंबुलेंस चालक ने कहा की डॉक्टर साहब ने ऑक्सीजन चालू करने के लिए मना किया है,वही जैसे-जैसे परिजन बच्चों को लेकर एम्स अस्पताल पहुंचे जहां डॉक्टर ने उसका इलाज शुरू किया पर तबीयत बिगड़ने के कारण 04/03 /2024 को बच्चों की मौत हो गई.
बच्चों के परिजन शिशु भवन के संचालक के ऊपर बच्चे की मौत का जिम्मेदार ठहराते हुए एसपी/ कलेक्टर और स्वास्थ्य विभाग से शिकायत की है परिजनो ने बताया की जब वे शिकायत करने सिविल लाइन थाना पहुंचे तो यहां के थाना प्रभारी गौरव सिंह ने शिकायत लेने से इनकार कर दिया।
बता दें इससे पहले भी शिशु भवन में एक 5 साल की बच्ची के पैर का इलाज के लिए भर्ती किया गया था, जिसका हांथ काटने की नौबत आ गई थी, जिसमे डॉक्टरों की लापरवाही सामने आई थी,
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