

रायपुर। प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल डॉक्टर भीमराव अंबेडकर चिकित्सालय मेकाहारा में करीब 4 साल से 3 लाश रखी है। जो अब पूरी तरह सड़ चुकी है, जिसे देख कर तो यही लग रहा है की अब इंसानियत पूरी तरह मर चुकी है, इस बदलते दौर में इंसानी सोच और दिल में हमदर्दी की भावना मानो खत्म हो चुकी है, यां यूं कहे की अब घोर कलयुग आ चुका है। जिसमे रिश्तों की अहमियत ही नहीं है, बता दें अंबेडकर अस्पताल के मर्चुरी में करीब 4 साल से तीन लाशें रखी हुई हैं लेकिन अब तक इनकी सुध लेने वाला कोई नही आया।
क्या करोना ने खत्म कर दी इंसानियत और हमदर्दी
कोरोना काल जिसे कोई भी इंसान याद नही करना चाहता, उस वक्त हर एक इंसान अपनी जिंदगी की भीख मांग रहा था,कोरोना वायरस ने अपनो को अपनो से जुदा कर दिया, लोग अपने ही घर में अछूत की तरह रहने लगे, क्योंकि ये घातक बीमारी संपर्क में आने से फैल रही थी चारों तरफ लाशों का ढेर और जलती चिता का खौफनाक मंजर देख लोग दहशत की जिंदगी जी रहे थे, कई परिजन तो लाश का अंतिम संस्कार करने से भी मना कर दिए थे, वही एक ऐसा ही मामला रायपुर के सरकारी अस्पताल में आया है जहां बताया जा रहा है कि कोरोना की पहली लहर के दौरान मौतें हुई थी। इस दौरान 3 शव को पीपीई किट में लपेटकर रख दिया गया था। इन तीन लाशों को 4 साल तक उनके परिजन लेने नहीं आए और सिस्टम की लापरवाही से यह लाशें अब कंकाल में तब्दील हो चुकी हैं।
बहरहाल मर्चुरी की सफाई और रख रखाव के दौरान जब इन लाशों को देखा गया, तब जिला प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद आज इनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। इस घटना ने एक बार फिर से यह साबित किया है कि आज भी इस दुनिया में ऐसे लोग हैं जिन्हें अपनों की परवाह भी नहीं है। यही कारण है कि आज तक इनकी कोई खबर लेने नहीं आया । वहीं सिस्टम की लापरवाही इस कदर से सामने आई है कि यह बताने वाला भी कोई नहीं है कि आखिर मर्चुरी भी रखी लाशें किसकी है और यह कौन हैं? किसी को कुछ पता ही नहीं है।

Editor-in-Chief