पेंड्रा/ जिले के रेलवे स्टेशन में पार्सल ऑफिस में नियमो का ताख में रख कर काम किए जाने की खबर सामने आई है, पर सब कुछ जानने के बाद भी रेल प्रबंध अनजान बना बैठाहै।बता दें ट्रेन के माध्यम से कई राज्यों से जीपीएम और प्रदेश के अन्य जिलों में समान आता है, वही रेलवे के पार्सल एजेंट्स ट्रेन से आने वाले सामानों को उतार कर उसे ट्रांसपोर्ट के माध्यम से व्यापारियों तक पहुंचाते है। रेलवे के एजेंटों का एक साल का लाइसेंस बनाया जाता है। जिसके बाद ही वे ट्रेन से आने वाले पार्सल को उतार सकते है।
सूत्र बताते है की गौरेला पेंड्रा, स्टेशन में जमील उर्फ (जमाल)नाम का एक व्यक्ति खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ाकर, बिना लाइसेंस के पार्सल उठाने का काम कर रहा है। जो रेल प्रशासन के नियम के विरुद्ध है। इसके बावजूद जमील बिना किसी डर के बेखौफ पार्सल का काम कर रहा है। जिससे तो यही लग रहा है की जमील रेलवे अधिकारियों से साठ-गांठ कर अपनी मनमानी चला रहा है। अक्सर देखा जाता है की ट्रेन के माध्यम से कई बार अवैध और नशीले समानो का व्यापार किया जाता है। जिसकी मुख्य वजह ये है की रेलवे अधिकारी इस ओर या तो ध्यान नहीं देते है या, चंद पैसों के लिए जमील जैसे लोगों को नियम विरुद्ध काम करने की खुली छूट दे देते है। आखिर कौन है जो जमील को संरक्षण दे रहा है? किसके बूते जमील रेल प्रशासन के अधिकारियों को अपने इशारे पर नचा रहा है? अगर जमील बिना लाइसेंस के पार्सल एजेंट का काम कर रहा है तो उसके ऊपर कार्यवाही करने के बजाय उसे सर पे क्यों बिठाया गया है? ये एक बड़ा सवाल है।
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