क्या नशे की आड़ में पुलिस ही भर रही अपनी जेब,,तो कैसे मिलेगी नशे से निजात,,?

बिलासपुर/जिले में इन दिनों नशे के खिलाफ एसपी निजात अभियान चला रहे है, जिसके तहत बड़ी कार्यवाही की जा रही है जिसमे लगातार अवैध नशा का कारोबार करने वालों की गिरफ्तारी की जा रही है जिससे नशे और अपराधियों पर नकेल कसी जा सके, पर सूत्र बताते है की जिले के रतनपुर थाने में पदस्थ एक आरक्षक निजात अभियान के विपरीत पैसे कमाने के लिए अवैध नशे का कारोबार करने वालों से जमकर उगाही कर रहा है, बता दें रतनपुर पुलिस ने शनिवार को 20 से 25 लीटर महुआ शराब पकड़ी थी, वही सूत्र बता रहे है,की महुआ के साथ पकड़े गए आरोपी से रतनपुर थाने में पदस्थ एक आरक्षक एक लाख की डिमांड कर रहा था, और जब सेटिंग नही हुई तो वसूलीबाज आरक्षक ने 25 लीटर महुआ शराब को 50 लीटर बना कर अपराध दर्ज कर लिया,कुल मिलाकर आरक्षक पैसे कमाने के लिए एसपी के आदेश की अवहेनला कर रहा है, जानकारी के मुताबिक ये वसूलीबाज आरक्षक पहले रतनपुर थाने में पदस्थ था,जिसके बाद इसका तबादला कोटा थाने हो गया, जहां अवैध शराब का गोरख धंधा करने वालों से ये आरक्षक उगाही करता था,इतना ही नहीं ये जनाब थाना प्रभारी के नाम से वसूली करते हुए करीब 3 लाख की वसूली कर लिया, वही शिकायत के बाद आरक्षक को लाइन भेज दिया गया, पर लगता है कि वसूली और उगाही करने वाले आरक्षक की ऊंची पहुंच है, जिसके चलते उगाही कर वर्दी की गरिमा को तार-तार करने वाला आरक्षक एक बार फिर रतनपुर थाने में नशे के सौदागरों को संरक्षण दे रहा है। और पैसे नही मिलने पर अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर रहा है। ऐसे पैसों के लालचियो के कारण ही पूरा पुलिस महकमा बदनाम होता है, जिले के उच्च अधिकारियों को चाहिए की ऐसे पुलिसकर्मियों के ऊपर कार्यवाही करें,जिससे अपराधियो और नशे के सौदागरों से निजात मिल सके। जिले की पूर्व एसपी माथुर के जाने के बाद जिले के पुलिस विभाग की कमान संतोष सिंह के हाथ में आई, जिसके बाद से लगातार बड़ी कार्यवाही की जा रही रही, प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है और चुनाव के पहले अचानक कई जिलों के एसपी का तबला किया गया, जिससे ये अटकलें लगाई जा रही है की पूर्व एसपी के कांधे जिले से अपराध रोक पाने में असमर्थ थे, जिसे देखते हुए लगता है की आईपीएस संतोष सिंह को जिले के कमान सौंपी गई है।

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