महतारी वंदन योजना ने बदला मस्तूरी विधानसभा का मिजाज, भाजपा ऐतिहासिक बढ़त की ओर

बिलासपुर। जहां एक ओर मस्तूरी विधानसभा के लोकप्रिय भाजपा प्रत्याशी और विधायक डॉ कृष्णमूर्ति बांधी अपने सघन जनसंपर्क में लगे हुए हैं वहीं दूसरी ओर भाजपा के घोषणा पत्र ने भी मस्तूरी में खासा माहौल तैयार कर दिया है।


अनुसूचित वर्ग के लिए आरक्षित मस्तूरी विधानसभा सीट में हमेशा से ही एक पढ़े लिखे और आम लोगों की समस्या को समझने वाले संवेदनशील प्रत्याशी की मांग रही है । उस मांग पर हमेशा से ही डॉक्टर कृष्णमूर्ति बांधी खरा उतरते रहे हैं । राजनीति के क्षेत्र में प्रवेश से पहले ही वे इस क्षेत्र में चिकित्सक के तौर पर लंबे समय तक अपनी सेवा देते रहे ।उसके बाद भी उनकी संवेदनशीलता क्षेत्र के मतदाताओं को प्रभावित करती रही है। उनका अपने क्षेत्र की जनता से गहरा और आत्मिक संबंध रहा है। सिर्फ समस्याओं और उसके समाधान की ही बात नहीं है, एक-एक घर में होने वाले सुख-दुख के आयोजनों में भी डॉक्टर बांधी हमेशा उनके साथ खड़े पाए गए हैं, यही बात उन्हें अपने अन्य प्रतिद्वंदियों से मिलो आगे खड़ा करती है। प्रतिद्वंद्वी भी जब उनसे मुकाबले में सक्षम नहीं हो पा रहे हैं तो दुष्प्रचार का सहारा लेकर उनकी छवि बिगाड़ने की कोशिश भी हो रही है। यही बौखलाहट बताती है कि इस विधानसभा चुनाव में भी एक बार फिर डॉक्टर कृष्णमूर्ति बांधी बड़े अंतर से जीत दर्ज करने जा रहे हैं । एक तरफ डॉक्टर कृष्णमूर्ति बांधी की स्वच्छ और शिक्षित उम्मीदवार की छवि है तो वहीं भाजपा का घोषणा पत्र भी तुरुप का पत्ता साबित होने जा रहा है। भाजपा घोषणा पत्र में शामिल महतारी वंदन योजना मस्तूरी में भाजपा के लिए मील का पत्थर साबित हो रही है। बता दें कि मस्तूरी विधानसभा में हजारों की संख्या में महिला स्व सहायता समूह कार्यरत है और रेडी टू ईट योजना बंद होने के बाद बड़ी संख्या में समूह की महिलाएं बेरोजगार हो गई है। जिसके चलते महिलाओं में कांग्रेस के प्रति रोष भी देखा जा रहा है।

वही महतारी वंदन योजना की घोषणा एक गेमचेंजर के तौर पर उभर रही है। घोषणा पत्र जारी होने के बाद भाजपा के पक्ष में जो माहौल बना है उसके पीछे महतारी वंदन योजना की घोषणा की बड़ी भूमिका है । प्रदेश की जनता मध्य प्रदेश में लागू लाडली बहना योजना को पहले से ही सराह रही है । यही वजह है कि छत्तीसगढ़ में महतारी वंदन योजना लागू होने के बाद से महिलाओं में भाजपा के प्रति विश्वास काफी बढ़ गया है।

हाल ही का सर्वे अलग-अलग जातियों और वर्गों के आधार पर भी किया गया और इसके आंकड़े कांग्रेस को परेशान करने वाले हैं, क्योंकि किसी भी वर्ग में कांग्रेस को बढ़त मिलते हुए नहीं दिखाई दे रही है। अनुसूचित जातियों के 40 फीसदी मतदाता भाजपा के समर्थन में है, जबकि 35 फीसदी कांग्रेस के पक्ष में हैं। वहीं, आदिवासी मतदाता भी भाजपा के समर्थन में वहीं कुछ का रुझान बहुजन समाज पार्टी की ओर भी जाता दिखाई दे रहा है।

गुरुवार को बिलासपुर में मायावती की सफल सभा भी कांग्रेस की चिंता बढ़ाने वाली है क्योंकि बसपा प्रत्याशी पिछले विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस के दिलीप लहरिया से अधिक वोट पाने में कामयाब हुए थे, इसलिए फिलहाल कांग्रेस की चिंता डॉ कृष्णमूर्ति बांधी को हराने की नहीं बल्कि इस चुनाव में दूसरे पायदान पर पहुंचने की है जो भी फिलहाल कठिन नजर आ रही है। दिल्ली अभी दूर है और बहुत कठिन है डगर पनघट की।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *